अरिहंत भगवान के 14 देवकृत अतिशय होते है |
- अर्द्धमागधी भाषा होती है |
- समस्त जीवो ने परस्पर मित्रता होती है |
- दिशा मे निर्मलता आ जाती है |
- आकाश स्वच्छ हो जाता है |
- सभी ऋतु के फूल - फल एक समय पर उगना |
- 1 योजन तक पृथ्वी दर्पण की भाति होना |
- भगवान जब चलते है तब पैर के नीचे 225 कमलों की रचना होना |
- मन्द-मन्द सुगंधित हवा चलना |
- आकाश मे जय-जय ध्वनि होना |
- भगवान जब चलते है तब मेघकुमार के देव उनके आगे गंधोदक की वृष्टि करते है |
- पवन कुमार देव द्वारा भूमि कांटे, कंकर रहित होना |
- सभी जीवो में परमानंद होना |
- भगवान के आगे धर्मचक्र चलना |
- अष्टमंगल का साथ में चलना | अष्टमंगल 8 होते है | छत्र, चवर, ध्वज, भ्रुंगार, कलश, दर्पण, पंखा, सिंहासन
अरिहंत भगवान के 8 प्रातिहार्य होते है |
- अशोक वृक्ष होना |
- रत्नमय सिंहासन होना |
- भगवान के मस्तक पर तीन छत्र होते है |
- भगवान के पीछे भामंडल होता है |
- दिव्या ध्वनी खिरना |
- देवो के द्वारा पुष्प वृष्टि |
- 64 चमरो का ढुरना |
- दुंदुभी बाजे बजाना |