परमेष्ठी पांच होते है | अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु |
अरिहंत परमेष्ठी :- जिन्हों ने चार घातिया कर्मो का नाश किया है, जो केवलज्ञानी हो, जो सशरीर हो, जिनके समवशरण हो, जिनके 46 मूलगुण होते है उन्हें अरिहंत परमेष्ठी कहते है |
46 मूलगुन :-
46 मूलगुन :-
सिद्ध परमेष्ठी :- जिन्हों ने 8 कर्मो का नाश किया हो जो शरीर रहित हो, जिन्हों ने मोक्ष प्राप्त कर लिया हो, जिनके 8 मूलगुण होते है उन्हें सिद्ध परमेष्ठी कहते है |
आचार्य परमेष्ठी :- जो मुनि संघ के नायक हो, जिनके 36 मूलगुण हो उसे आचार्य परमेष्ठी कहते है |
उपाध्याय परमेष्ठी :- जो मुनि संघ में पठन पाठन करते है और कराते है, जिनके 25 मूलगुण होते है उन्हें उपाध्याय परमेष्ठी कहते है |
साधु परमेष्ठी :- जो ज्ञान, ध्यान, तप में लीन होते है, जिनके 28 मूलगुण होते है उन्हें साधु परमेष्ठी कहते है |
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