णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहुणं
अर्थ :- अरिहंतो को नमस्कार , सिद्धो को नमस्कार , आचार्यो को नमस्कार ,उपाध्यायो को नमस्कार ,लोक के सर्व साधू को नमस्कार |
णमोकार मंत्र में 5 परमेष्ठी (अरिहंत,सिद्ध,आचार्य,उपाध्याय,सर्व साधू ) को नमस्कार किया गया है |
जो परम पद में स्थित है उसे परमेष्ठी कहते है |
णमोकार मंत्र का महत्त्व :-
जो परम पद में स्थित है उसे परमेष्ठी कहते है |
णमोकार मंत्र का महत्त्व :-
एसो पंच णमोयारो सव्व पावप्पणासणो |
मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवई मंगलम ||
णमोकार मंत्र सब पापो को नाश करने वाला है और सभी मंगलो में प्रथम मंगल है |
जो पाप को गलाए उसे मंगल कहते है | मंगल 4 होते है |
सवोच्च, सर्वमान्य, निर्दोष और निष्पाप पद को उतम कहते है | उतम 4 होते है |
जिसके आश्रय से जन्म , मरण मिट जाये उसे शरण कहते है | शरण 4 होते है |
णमोकार मंत्र अनादिनिधन है | वह किसी ने नहीं बनाया | यह अनादी काल से चलता आ रहा है और अनंत कल तक चलता रहेगा |
णमोकार मंत्र को महा मंत्र, मूल मंत्र, अनादिनिधन मंत्र, अपराजित मंत्र भी कहते है |
णमोकार मंत्र को सर्व प्रथम श्री धरशेनाचार्य के शिष्य भूतबली , पुष्पदंत आचार्य ने शत्खान्दागम ग्रंथ में लिपिबद्ध था |
णमोकार मंत्र प्राकृतभाषा और आर्या छंद में है | णमोकार मंत्र 18432 प्रकार से पढ़ा जाता है | णमोकार मंत्र में से 84,00,000 मंत्र की रचना की गयी है |
णमोकार मंत्र में ३५ अक्षर और ५८ मात्रा है | णमोकार मंत्र ३० व्यंजन एवं ३५ स्वर है |
णमोकार मंत्र का सब से छोटा रूप ॐ है | अरिहंत का अ ,सिद्ध(अशरीरी) का अ , आचार्य का आ ,उपाध्याय का उ मुनि का म | अ + अ = आ , आ + आ =आ ,आ + उ =ओ ,ओ + म = ओम |
णमोकार मंत्र का सब से छोटा रूप पंच अक्षरी मंत्र असि, आ, उ, सा है |
Hi.It is really very nice information.Its really great to know that in om also include namokar mantra.
ReplyDeleteIts really great to know about namokar mantra.
ReplyDeleteReally Great Navkar Mantra king of 84,00,000 Mantra........
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